हजरत उमर फारूक रद अल्लाह ताला अहो के बारे में इमाम इब्ने जौजी ने लिखा है कि रात को ना घर के अंदर बैठे-बैठे अचानक रो पड़े हजरत उमर 62 साल उमर है खिलाफत के आखरी अम चल रहे तो रो पड़े ऐसे ही घर में बिला बजाई
आपकी अहलिया ने जौजा ने बेटे को उठाया फरमाया पता करो तुम्हारे बाप को क्या मसला है कहीं को तकलीफ तो नहीं दर्द तो नहीं साहबजादे आए अब्बा जी क्या बात है फरमाया अम्मा को बुलाओ सब लोग जमा हो गए तो जनाबे उमर फारूक रजि अल्लाह ताला अन फरमाने लगे कि बैठो
मेरे इर्दगिर्द सब बैठ गए तो फरमाने लगे आज जब मैं मस्जिद से निकला था तो मेरे नबी पाक के सच्चे सहाबा सच्चे रसूल के सच्चे सहाबा हुजूर के सच्चे गुलाम यह कह रहे थे कि उमर बड़ा ही अच्छा है अदल वाला है इंसाफ वाला है तो अब्बा जी इसमें रोने
वाली क्या बात है तो फरमाने लगे डर यह लगता है कि बाहर तो मैं अच्छा था कहीं घर में तो नहीं कोताही करता रहा मेरी बात पर तवज्जो करना कहीं घर में आप बातें सुन ले तो शायद जितनी मैं करता हूं दूसरा कर ही कोई ना सके लेकिन जब अमल
के रास्ते पर हम निकलते हैं तो व मजदूर है व बंद है अमल किसने करना है आप कोई आयत पढ़े तो यहां गलती निकालने वाले 20 लोग मिल जाएंगे 20 लोग लेकिन उस आयत पर अमल करने वाले कितने मिलेंगे तो हजरत उमर फारूक रो रहे थे कहने लगे कहीं तुम्हारे
हुकूक तो नहीं पामा करता रहा तो आपकी ने जब सुना तो व कहने लगी उमर मुझे तो बड़ा पुराना शिकवा है आप जा हो जलाल इतना था मैं बात नहीं कर सकी उमर तुमने सारा दिन मस्जिद में गुजार दिया और सारी रात निकाह बोड़ के मदीने की
गलियों में गुजार दी मैं तो जिंदगी की को खुशी देख ही नहीं सकी चाह तो मेरे अंदर भी थे ना कि मेरा शौहर कुछ घड़िया बैठता कहीं मुझे लेकर जाता तो मैं तो कुछ नहीं देखा मुझे बड़ा शिकवा है हजरत उमर कहने लगे चल
अल्लाह की रिजा के लिए माफ कर दे भा माफी बीवी से नहीं मांगी जा रही माफी अपनी गलती की मांगी जा रही यह समझ ले बीवी के लिए तो खाव का बहुत बड़ा मकाम है ना लेकिन यहां गलती किस बात की है अपनी कमजोरी पर गलती
का तरा करके मजरत का सवाल किया जा रहा है तो हजरत उमर कहने लगे माफ कर दे तो अलिया कहने लगी मैं नहीं माफ करती मेरी शर्त पूरी करें फरमाया वो क्या फरमाने लगी कयामत में जब अल्लाह आपके लिए जन्नत का हुकम देगा तो आप मेरी सिफारिश करेंगे अल्लाह की बार
सिफारिश करेंगे या अल्लाह मुझे कपड़े धो के देती थी मेरी इज्जत की हिफाजत करती थी मेरे बिस्तर को पाक रखती थी कहेंगे तो हजरत उमर फरमाने लगे तेरे साथ वादा रहा रब ने अगर उमर को अपने फजल अपने करम और अपने महबूब के सदके जन्नत दी तो उमर तेरे बगैर जन्नत में नहीं
जाएगा अमल का रास्ता अमल का रास्ता देखे ना दो दफा उस्ताद बात करता है दो दफा और कोई ज्यादा एक तो है ना के एमए और जनाब एम एड और एमफिल और फिर पीएचडी किस्म का उस्ताद एक व जो मैट्रिक पीटीसी टीचर है ना व दो दफा स्टूडेंट को काम कहे तो तीसरी
दफा व नाराज हो जाता है कहता है मैं दो दफा कहा है बच्चे को आप दो दफा कहते हैं और अगर तीसरी दफा कहना पड़े तो गुस्स आता नहीं आता भा तूने इतनी दफा कहा तू समझ नहीं रहा बात को और अगर अल्लाह करीम कुराने म में सैकड़ों दफा कहे नमाज
पढ़ो सैकड़ों दफा और यह बहाने कर रहा है य भी प्रोग्राम बना रहा फिर कहता है मैं बेचान रहता हूं मैं बेकरार रहता हूं अमल का रास्ता इसको इख्तियार करें आप सुकून में रहेंगे बदमल आदमी और बे अमल आदमी यह हमेशा परेशान रहते हैं हमेशा अमल करें तौबा करें तो फिर बदल जाए
फिर तब्दीली आए और ये कोई मुश्किल काम नहीं बदलने वाले थे वह बदल गए बड़ा कुछ करते थे पर फिर वह लोग बदल गए हजरत
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