कर दो कि महंगाई का चेक कर लेते हैं कि शवों को नोच की बढ़ती कीमतों के तूफान ने खरीद के नाक में दम कर दिया है इस बीच तलाक की सियासी जमातें भी महसूस न्यायिक सुधार के दौर में मगर नजर आते हैं आम आदमी की
जिंदगी को महंगाई चार्ट गई तब तक पोस्ट कर दो कि तहरीके इंसाफ़ की हुकूमत अपनी 3 साल आकर गद्दी पर शादी गाने बजा रही है इंतजार इमर्जेंट उठने वालों को शायद महंगा ही नजर ही नहीं आती लेकिन महंगाई के पहाड़ तले दब चुका है कि जाए तो साहिबा ने एक सरदार
साहब शुक्राणुओं को बीच में ले जाते मीडिया में आई पर हाहाकार मच आए तो कभी वफ़ा की का बिना के खाली खुली इस्लाम सोते हैं तो कभी सुबह हुकूमत से जोड़कर बैठ जाती है वजीर-ए-आजम भी एक्शन में आते हैं और विद्यालय भी इंतजामियां को तो हर एक
करने के एक माह जारी कर देते हैं सख्त नोटिस लेते हैं और पर हम भी होते हैं मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात है कि जमीनी हकीकत यह है कि अंधेर नगरी चौपट राजा वाला मामला हो चुका है हर नए दिन के साथ बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का नाटक का
बन कर रखा है इन थे लेकिन नहीं और अखरा जाति हद नहीं फिट इविल्स ही इतनी ज्यादा है कि गरीबी ने अदा करते हुए हलकान हो जाता है अ ये दुनिया धुंधली अच्छे-अच्छे गुड़िया की कीमतें रोजाना की बुनियाद पर भर्ती हैं और कहीं दिखाई न देने वाला माफिया का नाम
लेकर अवागमन ना कुछ चुप करवा दिया जाता है पाकिस्तान में तीन साल से विराजमान तहरीक-ए-इंसाफ बाहर धूप में रानी जमात है जिसके दौड़ में हुई इन तो में अदम इस तरह काम कर उस पर पहुंच चुका है दाल चीनी जी सब्जियां मसाले जात और गोश्त सब की कीमतें
आसमान पर पहुंच गई दूध दही अंडे और बेकरी आइटम सभी गरीब से छीन लिए गए फल खाना तो अब अय्याशी के कमरे में आने लगा है कि पेट्रोल सारी दुनिया में सस्ता भी हो तो पाकिस्तान साइड बाहिर मुल्क है जहां यह महंगे दामों ही मिलता है पेट्रोलियम
वस्तुओं की टीम से अजीब रूप धार चुकी हैं पहले कि हमसे कभी कभार बड़ा करती थी फिर महीने बाद और 30 कर दूंगी पे ना जा तहरीक-ए-इंसाफ के दौरे हकूमत में 15 रोज बाद रद्दोबदल होने लगा इसका सहारा लेकर हर चीज के भाव बढ़ा दिए जाते हैं अ
कि इस बात में शक नहीं कि महंगाई इस वक्त आम आदमी का सबसे बड़ा मसला है उसमें इस तरह की सियासी जमातें भी इस पर कम ही बात करती हैं इनका मकसद अपने करप्शन में सफाई पेश करना और अगले इंतेखाबाद में कदार हासिल करने के सिवा कुछ नहीं सवाल यह है
कि क्या आम पाकिस्तानी इसी तरह महंगाई की चक्की में पिसता रहेगा इस बारे में जब तक हुक्मरान और अपोजिशन संजीदा नहीं होते शायरी ओन कैसी करवट ना बैठ सकते हैं
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